जब भी हम शेयर बाजार की बात करते हैं तो हम बात करते हैं निवेश की जहां हम किसी भी कंपनी के शेयर खरीद कर उनमें निवेश करते हैं.

लेकिन इसके अतिरिक्त भी शेयर बाजार में ट्रेडिंग और अन्य गतिविधियां होती है, जिनमें से फ्यूचर एंड ऑप्शन एक महत्वपूर्ण भाग होता है इसे हम डेरिवेटिव मार्केट भी कहते हैं. डेरिवेटिव जिसकी प्राइस underlying एसेट यानि स्टॉक या फिर इंडेक्स से तय होता है.

DERIVATIVE की परिभाषा

“Derivative is an instrument which value is derived from one or more underlying asset/things/products.

डेरिवेटिव एक प्रोडक्ट है, जैसे स्टॉक मार्केट में फ्यूचर एंड ऑप्शन होता है जिसकी प्राइस Underlying Asset यानि स्टॉक या फिर इंडेक्स के द्वारा तय होता है.

उदाहरण – जैसे निफ़्टी फ्यूचर एक डेरिवेटिव है जिसकी वैल्यू निफ़्टी Spot के भाव से Derive होती है.

डेरिवेटिव का उदाहरण

डेरिवेटिव को आसान भाषा में समझने के लिए हम एक साधारण सा उदाहरण लेते हैं और बात करते हैं कच्चे तेल और पेट्रोल, डीजल की.

जैसा कि हम जानते हैं कि पेट्रोल-डीजल जमीन से प्राप्त नहीं होता, बल्कि कच्चे तेल प्रोसेस करके बनाया जाता है मतलब यह है कि पेट्रोल या डीजल कच्चे तेल का एक डेरिवेटिव प्रोडक्ट है. जब कभी भी कच्चे तेल के भाव में तेजी होगी तो उसके अनुसार पेट्रोल डीजल के प्राइस में भी आपको तेजी देखने को मिलेगी. यह एक साधारण सा उदाहरण था.

Stock Market Segment

शेयर बाजार में दो सेगमेंट्स होते हैं

  1. Cash Segment
  2. Derivative Segment

डेरिवेटिव सेगमेंट को फ्यूचर एंड ऑप्शन सेगमेंट के नाम से भी जानते हैं अब बात करते हैं F&O की

Future – शेयर बाजार में Future एक डेरिवेटिव प्रोडक्ट है जिसकी वैल्यू उसके Underlying स्टॉक, इंडेक्स के भाव से Derive होती है. फ्यूचर Contract एक फॉरवर्ड Contract होता है,

Option – Option भी एक डेरिवेटिव प्रोडक्ट है इसका भाव स्टॉक, इंडेक्स के भाव से निकाला जाता है.

उदाहरण – HDFC बैंक का फ्यूचर कांट्रैक्ट एक डेरिवेटिव प्रोडक्ट है, जहां पर HDFC बैंक के फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट का भाव HDFC बैंक के Cash Price से Derive होगा.

Futures / वायदा क्या है?

फ्यूचर या वायदा एक डेरिवेटिव है इसका मूल्य Underlying Asset पर निर्भर करता है Underlying Asset कोई उत्पाद, खनिज, स्टॉक, कमोडिटी आदि होते हैं. वायदा या फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट दो पार्टी के बीच एक अनुबंध या कॉन्ट्रैक्ट होता है. जो कि खरीदार और विक्रेता दोनों को एक निश्चित मूल्य पर एक निश्चित तय तारीख पर किसी भी एक Asset को खरीदी बिक्री करने की आजादी देता है.

उदाहरण – मान लेते हैं A और B दो पार्टी है जिन्होंने ₹1000 के भाव पर किसी XYZ कंपनी के शेयर खरीदने और बेचने के लिए एक निश्चित तारीख के लिए Future कॉन्ट्रैक्ट किया. जहां A को शेयर में तेजी का रुझान लगता है वही B को गिरावट का रुझान लगता है.

अब Expiry Dtae के दिन यदि XYZ शेयर का भाव ₹1100 हो गया तो A को मुनाफा होगा B को नुकसान होगा.

लेकिन वही XYZ शेयर का भाव गिर कर ₹900 हो गया तो उस परिस्थिति में B को मुनाफा होगा और A को नुकसान होगा.

Options क्या है?

Option एक अनुबंध है जो एक निश्चित तिथि पर या उससे पहले एक विशिष्ट कीमत पर अंतर्निहित परिसंपत्ति को खरीदार को अधिकार देता है – लेकिन दायित्व नहीं – खरीदने के लिए (कॉल के मामले में) या बेचने (एक पुट के मामले में)

ऑप्शन एक प्रकार का ऐसेट क्लास है आप Stocks, Currency, Commodity आदि में ऑप्शन ट्रेडिंग कर सकते हैं. ऑप्शन का यूज़ लोग रेगुलर इनकम के लिए, स्पैक्यूलेशन के लिए, या फिर अपने पोर्टफोलियो को hedge करने के लिए भी करते हैं.

ऑप्शंस भी एक डेरिवेटिव प्रोडक्ट है क्योंकि उसकी वैल्यू भी Underlying Asset से ही Derive होती है.

Option 2 types के होते हैं

  1. Call Option (खरीदने के लिए)
  2. Put Option (बेचने के लिए)

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