शेयर बाजार में निवेश करने से पहले आपको इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि आप जिस शेयर को खरीद रहे हैं वह सस्ता है या महंगा. तो इसका पता लगाने के लिए शेयर बाजार में बहुत से Ratios होते हैं. जिससे हमें एक सही शेयर चुनने में मदद मिलती है.
आज इस पोस्ट में हम उन सभी महत्वपूर्ण Ratios के बारे में जानने की कोशिश करेंगे
किसी वस्तु की सही कीमत निकालने को उस वस्तु की वैल्यूएशन करना कहते हैं. जब हम शेयर बाजार में किसी शेयर में निवेश करना चाहते हैं, तो यह बहुत जरूरी है कि आप उस शेयर को सही कीमत पर खरीदे. ताकि भविष्य में आपको एक अच्छा मुनाफा हो सके.
लेकिन कई बार हम उस शेयर की वैल्यूएशन करने में चूक जाते हैं. सही वैल्यूएशन से हमें उस शेयर की सही कीमत का पता चलता है जिसके लिए हम कुछ Ratios को देखते हैं. जिससे उस शेयर की सही वैल्यूएशन पता चलती है.
Price to Earnings (P/E) Ratio
Price to Earning Ratio किसी कंपनी के मौजूदा शेयर भाव और प्रति शेयर आय (EPS) का अनुपात है. कोई शेर और वैल्यूड है या अंडरवैल्यूड इसका पता पीड़ितों को देखकर लगाया जा सकता है इसे 10x, 20x, 30x के रूप में लिखते हैं अगर किसी कंपनी का PE Rato है इसका मतलब यह है कि कंपनी कि भविष्य में ग्रोथ की उम्मीद ज्यादा नहीं है. इसके विपरीत अगर किसी कंपनी का PE Ratio अधिक है, इसका मतलब यह माना जाता है कि भविष्य में वह कंपनी ज्यादा तेजी से ग्रोथ कर सकती है. अक्सर PE Ratio के जरिए एक ही Sector की दो कंपनियों के बीच तुलना करने में आसानी होती है. जिससे पता चलता है कि कौन सी कंपनी सस्ती है और कौन सी महंगी.
प्राइस टू अर्निंग रेश्यो निकालने के लिए कंपनी की मौजूदा शेयर कीमत को उसके EPS यानी अर्निंग प्रति शेयर से विभाजित किया जाता है।
EPS (Earning Per Share) – EPS में आपको दो चीजों की जानकारी होनी चाहिए. पहला कंपनी की कुल आय और दूसरा कंपनी में कुल Shares की संख्या.
जब हम कंपनी की कुल आय में से कंपनी के कुल Shares की संख्या को भाग देते हैं, तो कंपनी की EPS (Earning per share) निकल जाती है. जिससे यह पता चलता है कि कंपनी प्रति शेयर कितने रुपए का मुनाफा कमा रही है.
EPS की गणना = Total Income / Total no. of share
उदाहरण के तौर पर मान लीजिए ABC कंपनी के पास 10,000 शेयर हैं और कंपनी 1,00,000 रूपये का मुनाफा कमाती है। अब इस कंपनी का EPS यानी Earning Per Share होगा.
= 100,000 / 10,000
= ₹10 प्रति शेयर
आप कंपनी के मौजूदा शेयर कीमत को कंपनी के EPS से विभाजित करेंगे तो आपको P/E रेश्यो मिलेगा। इस रेश्यो से पता चलता है कि बाजार के खिलाड़ी कंपनी के मुनाफे के मुकाबले उसकी शेयर कीमत पर कितना गुना प्रीमियम देने को तैयार हैं।
मान लीजिए ABC कंपनी के शेयर का भाव ₹200 है और उसकी ईपीएस ₹10 है तो PE Ratio होगा
PE Ratio = Current Share price / EPS
= ₹200 / ₹10 = 20x
Price to Book (P/B) Ratio
PB Ratio का इस्तेमाल किसी कंपनी की बाजार पूंजी को इसके बुक वैल्यू से तुलना करने के लिए किया जाता है. इसका मान कंपनी के शेयर भाव को प्रति शेयर के बुक वैल्यू से डिवाइड करके निकाला जाता है.
Price to Book Value रेश्यो समझने के पहले हमें यह जानना होगा कि Book Value क्या होती है? मान लीजिए एक कंपनी को बंद करना पड़ा है और उसे अपने सारे एसेट बेचने पड़ते हैं। सारे एसेट बेचने पर कंपनी को कम से कम जितने पैसे मिलेंगे, उसे उस कंपनी की बुक वैल्यू माना जाता है।
लॉन्ग टर्म निवेशक इस Ratio का इस्तेमाल लंबे समय के निवेश के लिए करते हैं अगर इसकी वैल्यू एक से कम होती है तो इससे बेहतर माना जाता है. कई Value Investor 2 या 3 की वैल्यू को भी बेहतर मानते हैं. यह रेश्यो जितना कम होता है इसका मतलब यह माना जाता है कि शेयर डिस्काउंट पर मिल रहा है.
Debt-to-Equity (D/E) Ratio
यह रेश्यो कंपनी के कुल कर्ज और इक्विटी का अनुपात होता है. इससे यह पता चलता है कि कंपनी अपने कारोबार के लिए अपने शेयरधारकों के पैसों की तुलना में कितना कर्ज ले रही है. अगर कंपनी के ऊपर कर्ज अधिक है, तो यह रेशियो अधिक होगा. इसका मतलब यह है कि इन कंपनी में निवेश करने में रिस्क अधिक है. आमतौर पर 2 से 2.5 का डेट इक्विटी रेशों अच्छा माना जाता है.
Dividend Yield
डिविडेंड यील्ड बहुत ही महत्वपूर्ण होता है जब हम किसी कंपनी में निवेश करना चाहते हैं. इससे यह पता चलता है कि कंपनी अपने शेयर प्राइस की तुलना में कितना डिविडेंड दे रही है. डिविडेंड आमतौर पर कंपनी की Face Value पर दिया जाता है.
इसकी वैल्यू डिविडेंड को शेयर भाव से डिवाइड करके निकालते हैं. इसे डिविडेंड यील्ड कहा जाता है.
मान लीजिए किसी कंपनी के शेयर का भाव 1000 रुपए है और उस कंपनी ने ₹20 का डिविडेंड दिया तो इस कंपनी का डिविडेंड होगा (20/1000)*100 = 2% Dividend yeild