सेबी के मुताबिक F&O ट्रेडिंग करने वाले 10 में से 9 निवेशक पैसा गंवाते हैं.
कुछ सालों में रिटेल इन्वेस्टर्स की भागीदारी F&O ट्रेडिंग में तेजी से बढ़ी है.
इसे कम करने के लिए सरकार बजट में F&O की कमाई पर टैक्स बढ़ा सकती है जैसा उसने क्रिप्टोकरेंसी के मामले में किया था.
वित्त मंत्रालय, SEBI और RBI जैसे फाइनेंशियल रेगुलेटर्स F&O ट्रेडिंग में Retail निवेशकों की बढ़ती संख्या से काफी चिंतित हैं.
ऐसी अटकलें हैं, कि जुलाई के तीसरे हफ्ते में पेश होने वाले बजट में F&O पर टैक्स बढ़ाया जा सकता है. इससे रिटेल इन्वेस्टर्स के F&O Segment के प्रति झुकाव पर अंकुश लगेगा.
अभी F&O से होने वाली कमाई सैलरी या बिजनेस इनकम कैटेगरी में आती है और उसी हिसाब से टैक्स लगता है.
अगर F&O वाली कमाई को 'सट्टा आय' कैटेगरी में डाल दिया जाता है, तो यह लॉटरी या क्रिप्टो निवेश की तरह हो जाएगा.
अब देखना यह होगा कि सरकार बजट में F&O ट्रेडिंग में बड़ा टैक्स लगाती है या नहीं.