अगर आप शेयर बाजार में काम करते हैं. तो आपने कई बार देखा होगा कि किसी शेयर में अपर सर्किट या लोअर सर्किट लग जाता है. तो आज इस पोस्ट के जरिए हम समझने की कोशिश करेंगे की अप्पर सर्किट और लोअर सर्किट क्या होते हैं यह किस तरीके से काम करता है.

सर्किट फिल्टर का मुख्य उद्देश्य इन्वेस्टर्स को ट्रेडिंग डे में स्टॉक में होने वाली तेज उठापटक से होने वाले नुकसान से बचाना है.

क्या होता है सर्किट

शेयर बाजार में प्रतिदिन शेयर्स की खरीदी और बिक्री का काम होता है. शेयर की मांग और आपूर्ति के आधार पर इनकी कीमतों में लगातार उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है. कभी-कबार किसी शेयर में तेज गिरावट या तेज उछाल देखना आम बात है. यह किसी भी न्यूज़ या कोई ऐसी खबर जो कंपनी के लिए अच्छी या बुरी हो सकती है. जिस कारण उसके शेयर के भाव में उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है.

क्योंकि शेयर बाजार में शेयर की प्राइस डिस्कवरी और निवेशकों का हित दोनों ही बहुत जरूरी है. अगर किसी कारण से किसी शेयर में बहुत तेज उतार-चढ़ाव देखने को मिले तो उससे निवेशकों को बहुत बड़ा नुकसान देखने को मिल सकता है. तो इससे पूरे सिस्टम, निवेशकों और कारोबारियों को बचाए रखने के लिए शेयर मार्केट और स्टॉक में सर्किट लगाया जाता है. जिससे एक लिमिट के बाद उस शेयर में कारोबार रुक जाता है.

क्यों घटता-बढ़ता है शेयर का मूल्य?

अक्सर नए निवेशक यह सोचते हैं कि आखिर शेयर का भाव घटता बढ़ता क्यों है. तो इसका जवाब है शेयर का भाव सप्लाई और डिमांड के कारण घटता बढ़ता है. जब हम ट्रेडिंग करते हैं तो हम देखते हैं कि वहां पर शेयर के खरीददार भी रहते हैं और शेयर के बेचने वाले भी रहते हैं. जब किसी शेयर की डिमांड बढ़ती है यानी उसे ज्यादा लोग खरीदना चाहते हैं, तब उसके दाम बढ़ने लगते हैं. ठीक इसके विपरीत जब शेयर की डिमांड घटने लगती है और लोग शेयर बेचना शुरू करते हैं, तब शेयर का मूल्य घटने लगता है और शेयर में गिरावट शुरू हो जाती है.

शेयर पर सर्किट क्यों लगता हैं?

किसी स्टॉक पर सर्किट लगने के अनेक कारण हो सकते हैं. किसी शेयर में कोई पॉजिटिव News हैं जिससे उस शेयर की हाई डिमांड की वजह से शेयर में अपर सर्किट लग सकता हैं.

इसके विपरीत यानी कि स्टॉक संबंधित कोई खराब News होने की वजह से स्टॉक में लोअर सर्किट भी लग सकता हैं.

 Upper Circuit- स्टॉक की डिमांड ज्यादा होना.

 Lower Circuit- स्टॉक की सप्लाई ज्यादा होना.

क्या होता है लोअर सर्किट?

मान लीजिए आपके पास किसी कंपनी के शेयर है और उस कंपनी के तिमाही नतीजे बहुत ही खराब आते हैं. ऐसे में निवेशकों को निराशा होती है और वे उस कंपनी के शेयर बेचना शुरू कर देते हैं. ऐसे में शेयर बेचने वालों की संख्या बहुत अधिक होती है. और कंपनी के खराब नतीजे देखने के बाद बहुत कम निवेशक उस शेयर को खरीदना चाहते हैं. जिस कारण से शेयर में बेचने वालों का दबाव बढ़ने लगता है. और एक ऐसा समय आ जाता है जब उस शेयर में खरीदने वाले निवेशकों की संख्या शुन्य हो जाती है.

ऐसी स्थिति में शेयर का मूल्य एक निश्चित भाव तक गिरे इसके लिए शेयर में लोअर सर्किट लग जाता है. जिसमें कोई भी बेचने वाला निवेशक एक निश्चित भाव के नीचे बेचने का आर्डर नहीं लगा सकता. जैसे ही शेयर लोअर सर्किट पर पहुंच जाता है, उसके बाद उस शेयर की ट्रेडिंग बंद हो जाती है और यही सीमा लोअर सर्किट कहलाती है.

क्या होता है अपर सर्किट?

मान लीजिए आपके पास किसी कंपनी के शेयर है और उस कंपनी को तगड़ा मुनाफा होता है. इस कारण बहुत से निवेशक इस शेयर को खरीदना चाहते हैं. और अचानक उस शेयर में डिमांड बढ़ने लगती है और बेचने वाले की संख्या कम होने लगती है, क्योंकि उन्हें लगता है कि यह शेयर का भाव और ऊपर जा सकता है. तो वह शेयर नहीं बेचते हैं, और एक वक्त ऐसा आता है जब शेयर में सिर्फ खरीदने वाले ही रह जाते हैं और बेचने वालों की संख्या 0 हो जाती है. इस परिस्थिति में शेयर में अपर सर्किट लग जाता है.

कब हुई सर्किट लिमिट की शुरुआत?

भारतीय शेयर बाजार में सर्किट लिमिट की शुरुआत SEBI द्वारा पहली बार 28 जून 2001 में लाई गई थी. इस दिन सेबी ने सर्किट ब्रेकर की व्यवस्था की थी. यह व्यवस्था लागू होने के बाद पहली बार इसका इस्तेमाल 17 मई सन 2004 को हुआ था. सर्किट फिल्टर का मुख्य उद्देश्य निवेशकों को किसी भी स्टॉक में होने वाली उठापटक के नुकसान से बचाना था.

इंडेक्स में सर्किट लिमिट कैसे लगता है?

  • इंडेक्स में लोअर सर्किट तीन चरणों में लगता है 10% 15% और 20%. यदि दोपहर 1:00 बजे से पहले 10% की गिरावट हो जाती है. तो मार्केट 1 घंटे के लिए रुक जाता है जिसमें 45 मिनट का Hold और 15 मिनट का Pre opening Session होता है. यदि 10% की सर्किट दोपहर 1:00 से 2:30 के बीच लगता है तो मार्केट आधे घंटे के लिए रोक दिया जाता है. जिसमें 15 मिनट का Hold और 15 मिनट का Pre opening session होता है. यदि सर्किट 2:30 बजे के बाद लगता है तो कारोबार 3:30 बजे तक चलता रहता है.
  • यदि 15 फीसदी की गिरावट 1 बजे से पहले आती है, तो बाजार में दो घंटे के लिए कारोबार रोक दिया जाता है. इसमें शुरुआती 1 घंटा और 45 मिनट तक कारोबार पूरी तरह रुका रहता है और 15 मिनट का Pre opening session होता है. यदि 15 फीसदी का सर्किट दोपहर 1 बजे के बाद लगता है, तो कारोबार एक घंटे के लिए रुक जाता है. इसमें शुरुआती 45 मिनट तक कारोबार पूरी तरह रुका रहता है और 15 मिनट का Pre opening session होता है. यदि 2.30 बजे के बाद 15 फीसदी का लोअर सर्किट लगता है, तो कारोबार के अंत तक यह लगा रहता है.
  • यदि दिन के दौरान कभी भी 20% का लोअर सर्किट लगता है तो कारोबार के अंत तक लगा रहता है.

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