आपने अक्सर लोगों को बात करते सुना होगा कि उन्होंने फलाना कंपनी के शेयर खरीदे थे, और वह कंपनी ने बहुत तगड़ा मुनाफा कमाया है और उस कंपनी ने उन्हें एक बड़ा डिविडेंड दिया है. डिविडेंड को लाभांश भी कहा जाता है, जो कोई भी कंपनी अपने शेयरधारकों को वितरित करती है. आज इस पोस्ट में हम यही जानने की कोशिश करेंगे. डिविडेंड क्या होता है? कंपनियां डिविडेंड क्यों देती है? और आम निवेशकों को डिविडेंड से क्या फायदा होता है?

जब भी हम किसी कंपनी के शेयर खरीदने के बारे में सोचते हैं तो सबसे पहले हम उस कंपनी की वित्तीय हालत के बारे में जानने की कोशिश करते हैं हम यह देखते हैं, कि वह कंपनी किस तरीके का कारोबार करती है, और किस तरीके का मुनाफा कमाती है. इन सभी फैसलों के बाद हम किसी भी कंपनी में निवेश करते हैं और उनके शेयर खरीदते हैं.

डिविडेंड क्या होता है?

जब कभी भी हम किसी कंपनी में निवेश करते हैं और उनके शेयर खरीदते हैं, तो हम उस कंपनी में शेयर धारक बन जाते हैं. फिर जब वह कंपनी मुनाफा कमाती है तो वह कंपनी अपने मुनाफे का कुछ अंश अपने शेयरधारकों में बांट देती है. जिसे हम डिविडेंड कहते हैं.

प्रॉफिट के जिस भाग का वितरण कंपनी अपने शेयर होल्डर्स के साथ करती है, उसे हम डिविडेंड या लाभांश कहते हैं. कंपनी यह डिविडेंड अपने शेयरधारकों को कैश या अन्य रूप में भी दे सकती है. हालांकि शेयर होल्डर्स को डिविडेंड किस रूप में देना है इसका निर्णय कंपनी के द्वारा किया जाता है. कंपनी शेयरधारकों को जो भी डिविडेंड देती है, वह प्रति शेयर के आधार पर दिया जाता है.

उदाहरण के तौर पर मान लेते हैं, कि FY2020-21 में HDFC बैंक ने हर शेयर पर ₹15 का डिविडेंड दिया था. यह डिविडेंड शेयर की फेस वैल्यू के ऊपर दिया जाता है. HDFC बैंक के शेयर की फेस वैल्यू ₹1 है, अर्थात कंपनी ने 1500% का डिविडेंड दिया.

सभी कंपनियां डिविडेंड देती है ऐसा जरूरी नहीं है, कंपनियां हर साल डिविडेंड देती है ऐसा भी जरूरी नहीं है. अगर किसी कंपनी को लगता है कि उसे उस साल अच्छा मुनाफा हुआ है और वह अपना मुनाफा डिविडेंड के रूप में अपने निवेशकों को देना चाहती है, तो वह कंपनी डिविडेंड दे सकती है. और अगर कंपनी चाहे तो उन पैसों का इस्तेमाल वह अपने कंपनी के नए प्रोजेक्ट या विस्तार के लिए भी उपयोग में ला सकती है.

जरूरी नहीं है कि कंपनियां डिविडेंड अपने मुनाफे में से ही दे. कई बार ऐसा होता है कि कंपनियों को ज्यादा मुनाफा नहीं होता है, लेकिन उनके पास काफी मात्रा में Cash पड़ा होता है. तो कंपनी उस Cash में से भी डिविडेंड दे सकती है. अक्सर कंपनी अपने शेयरधारकों को Dividend इसलिए देती है, ताकि शेयरधारकों का कंपनी पर भरोसा बना रहे.

डिविडेंड देने का फैसला कौन करता है ?

डिविडेंड लाभांश देने का फैसला कंपनी पर निर्भर करता है. डिविडेंड देने का फैसला कंपनी की जनरल मीटिंग में कंपनी के मैनेजमेंट के द्वारा किया जाता है. कंपनी का मैनेजमेंट ही तय करता है कितने रुपए का डिविडेंड देना है. लेकिन डिविडेंड घोषणा होने के साथ ही नहीं दिया जाता है, बल्कि यहां पर डिविडेंड देने की प्रक्रिया को समझना जरूरी होगा. डिविडेंड किसे देना है और किसे नहीं देना यह पता लगाना सबसे मुख्य काम होता है जिसके लिए आपको निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए.

  • डिविडेंड डिक्लेरेशन डेट (Dividend Declaration Date) – यह वह दिन होता है जिस दिन AGM की बैठक होती है और कंपनी का बोर्ड डिविडेंड को मंजूरी देता है.
  • एक्स डिविडेंड डेट (Ex Date/ Ex Dividend Date) – एक्स डिविडेंड डेट आमतौर पर रिकॉर्ड डेट के 2 दिन पहले की डेट होती है, इसलिए क्योंकि भारत में T+2 आधार पर सौदों का सेटलमेंट होता है तो अगर आपको Dividend चाहिए, तो आपको शेयर एक्स डिविडेंड डेट के पहले खरीदना होता है.
  • रिकॉर्ड डेट (Record date) – यह वह दिन होता है जिस दिन कंपनी अपने रिकॉर्ड को देखती है, और जिन भी शेयरधारकों का नाम उनके रिकॉर्ड में होता है उन्हें डिविडेंड दिया जाता है. आमतौर पर डिविडेंड की घोषणा और रिकॉर्ड डेट के बीच कम से कम 30 दिनों का Gap होता है.
  • डिविडेंड पेआउट डेट (Dividend Payout Date) – यह वह दिन होता है, जिस दिन शेयरधारकों को Dividend का भुगतान उनके बैंक अकाउंट में किया जाता है.

डिविडेंड के फायदे

डिविडेंड आपके पोर्टफोलियो में जोखिम को कम करने में मदद करता है.

डिविडेंड एक नियमित आय का जरिया होता है, जहां पर आपको अपने शेयरों को बेचकर मुनाफा कमाने की जरूरत नहीं होती बल्कि डिविडेंड एक ऐसी आए होती है. जहां आपको घर बैठे ही अपने शेयर पर मिलते रहती है.

अगर आप हाई डिविडेंड यील्ड वाले शेयर में निवेश करते हैं, तो आपको डबल बेनिफिट होता है पहला तो शेयर की कीमत चढ़ने से आपको फायदा होता है, और साथ ही नियमित आय डिविडेंड के रूप में मिलती रहती है.

डिविडेंड देने वाली कंपनियां कौन-कौन सी है?

वैसे तो देश में बहुत सी कंपनियां हैं जो डिविडेंड देती है. लेकिन जब बात आती है ज्यादा डिविडेंड देने की, तो बहुत कम कंपनियां ऐसी है जो कि अपने शेयरधारकों को तगड़ा डिविडेंड देती है. मुख्य रूप से अगर हम बात करें PSU कंपनियां अपने शेयरधारकों को अच्छा डिविडेंड देती है. इनमें से BPCL, IOCL, COAL INDIA और भी बहुत सी PSU कंपनियां है जो शानदार डिविडेंड देने के लिए जानी जाती है.

इसके अतिरिक्त बहुत सी (मिड-कैप और लार्ज-कैप) प्राइवेट सेक्टर की कंपनियां भी होती है. जो आपको साल में अच्छा खासा डिविडेंड देती है. जैसे कि Infosys, TCS, ITC, HUL आदि. Dividend के कारण आपका पोर्टफोलियो में रिस्क कम हो जाता है. अगर आपका शेयर नहीं भी चल रहा हो तो डिविडेंड के कारण आपके निवेश की वैल्यू बनी रहती है.

Dividend कितने प्रकार के होते हैं?

मुख्य रूप से डिविडेंड 6 प्रकार के होते हैं जो निम्नलिखित हैं.

  1. नगद डिविडेंड (Cash Dividend) – अधिकांश कंपनियां कैसे डिविडेंड का भुगतान करती है. कैश डिविडेंड सीधा कंपनी के शेयरधारकों के बैंक खाते में भेजा जाता है. जो कि पूर्ण रूप से इलेक्ट्रॉनिक तरीके से होता है. कभी-कभी कंपनियां पेमेंट चेक के माध्यम से भी करती है.
  2. स्टॉक डिविडेंड (Stock Dividend) – इस प्रकार के Dividend तब जारी किया जाता है, जब कंपनी के पास नकदी की कमी होती है, लेकिन फिर भी कंपनी शेयरधारकों को खुश रखने के लिए सामान्य स्टॉक जारी करती है. शेयरधारकों को उनके द्वारा पहले से रखे गए शेयरों के अनुपात में अतिरिक्त शेयर दिए जाते हैं, और इन बोनस शेयरों के लिए उन्हें किसी प्रकार के अतिरिक्त भुगतान करने की आवश्यकता नहीं होती है.
  3. संपत्ति डिविडेंड (Asset Dividend) – कंपनियां शेयरधारकों को Dividend के रूप में भौतिक संपत्ति, अचल संपत्ति और अन्य के रूप में गैर मौद्रिक भुगतान भी कर सकती है.
  4. स्क्रिप डिविडेंड (Scrip Dividend) – जब किसी कम्पनी के पास निवेशकों को डिविडेंड देने के लिए पर्याप्त धनराशि नही होती है, तो वह शेयरधारकों को ट्रांस्फ़ेरेबल वचन पत्र अर्थात प्रामिसरी नोट जारी करती है, जिसमें वह भविष्य की तारीख पर लाभांश के भुगतान की पुष्टि करती है.
  5. लिक्विडेटिंग डिविडेंट (liquidating dividend) – जब कोई कंपनी बिज़नेस बंद कर रही होती है, तो वह अपने शेयरधारकों को liquidating dividend के रूप में भुगतान करती हैं. कंपनी इस लाभांश का भुगतान अपनी संचित आय से अधिक करती है. शेयरधारकों को उस कंपनी द्वारा किया गया यह अंतिम भुगतान होता है यह भुगतान शेयर की संख्या के आधार पर किया जाता है. यह आमतौर पर दिवालियापन परिसमापन के मामले में होता है.
  6. विशेष डिविडेंट (Special dividend) – जब कोई कंपनी अपनी लाभांश भुगतान नीति से अलग कोई डिविडेंट का भुगतान करती है. तो इसे तो इसे Special dividend कहा जाता है. जब कम्पनी को किसी स्कीम या प्रोडक्ट के माध्यम से अधिक लाभ प्राप्त होता है, तो कम्पनी इस प्रॉफिट को अपने शेयर होल्डर के साथ शेयर करती है. स्पेशल डिविडेंड, जनरल डिविडेंड की तुलना में अधिक होता है. इस डिविडेंड को रेगुलर पेमेंट पालिसी से अलग डिविडेंड का पेमेंट कम्पनी का द्वारा किया जाता है.

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